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पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त

प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी और वरिष्ठ भारतीय राजनेता ,पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त का जन्म 10 सितम्बर 1887 उत्तराखंड के अल्मोड़ा में हुआ था. वे उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री और भारत के चौथे गृहमंत्री थे।1937 में पंत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने.फिर पंत 1946 से दिसंबर 1954 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. 1955 से 1961 के बीच गोविंद बल्लभ पंत केंद्र सरकार में होम मिनिस्टर रहे. 1957 में उन्हें भारतरत्न से सम्मानित किया गया. गृहमंत्री के रूप में उनका मुख्य योगदान भारत को भाषा के अनुसार राज्यों में विभक्त करना तथा हिन्दी को भारत की राजभाषा के रूप में प्रतिष्ठित करना था.

संपूर्णानंद

उत्तर प्रदेश के दुसरे मुख्यमंत्री संपूर्णानंद का जन्म 1 जनवरी, 1889 को वाराणसी में हुआ था. उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा दिनों तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड संपूर्णानंद के ही नाम है. संपूर्णानंद ने कुल 5 साल 344 दिनों तक मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभाला.1937 में प्रदेश की दक्षिण वाराणसी विधान सभा क्षेत्र के लिए उनका निर्वाचन किया गया.वे एक बेहतर राजनेता के साथ-साथ अच्छे लेखक भी थे. हिंदी में वैज्ञानिक उपन्यास सर्वप्रथम संपूर्णानंद ने ही लिखा था. 1957 में उन्हें भारतरत्न से सम्मानित किया गया. गृहमंत्री के रूप में उनका मुख्य योगदान भारत को भाषा के अनुसार राज्यों में विभक्त करना तथा हिन्दी को भारत की राजभाषा के रूप में प्रतिष्ठित करना था.

चंद्रभानु गुप्ता

चंद्रभान गुप्ता भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और राजनेता थे. चन्द्रभानु गुप्त का का जन्म 14 जुलाई, 1902 को उत्तर प्रदेश में अलीगढ़ ज़िले के 'बिजौली' नामक स्थान पर हुआ था. वे 7 दिसम्बर 1960 को पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और इसके बाद वे दो बार और मुख्यमंत्री रहे। चंद्रभानु गुप्ता के राजनीतिक करियर की शुरुआत 1926 में हुई. उनको उत्तर प्रदेश कांग्रेस और ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी का सदस्य बनाया गया. इनका निर्वाचन क्षेत्र दक्षिण रानीखेत था. पहली बार 7 दिसम्बर, 1960 से 1 अक्टूबर, 1963, दूसरी बार 14 मार्च,1967 से 04 अप्रैल, 1967 तथा तीसरी बार 25 फरवरी, 1969 से 17 फरवरी, 1970 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. राष्ट्रीय आन्दोलन में इन्होंने अनेक बार जेल-यात्रायें की. 1957 में उन्हें भारतरत्न से सम्मानित किया गया. गृहमंत्री के रूप में उनका मुख्य योगदान भारत को भाषा के अनुसार राज्यों में विभक्त करना तथा हिन्दी को भारत की राजभाषा के रूप में प्रतिष्ठित करना था.

सुचेता कृपलानी

सुचेता कृपलानी भारत की एक स्वतंत्रता सेनानी एवं राजनेता थी. वे देश की पहली महिला मुख्यमंत्री एवं उत्तरप्रदेश की चौथी मुख्यमंत्री थी। उन्होंने आजादी की लड़ाई में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. सुचेता कृपलानी का जन्म हरियाणा के अम्बाला में 25 जून, 1908, में हुआ था. उन्होंने पंजाब के ही इन्द्रप्रस्थ कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की थी और बाद में वे बनारस के हिन्दू यूनिवर्सिटी की इतिहास (कानून) की प्रोफेसर बनी।साल 1939 में सुचेता कृपलानी जी ने नौकरी छोड़कर राजनीति में प्रवेश किया. सुचेता कृपलानी जी 2 अक्तूबर,1963 को उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री बनने के साथ देश की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी और इस पद पर 13 मार्च, 1967 तक आसीन रहीं और सीएम के रुप में एक कुशल प्रशासक की तरह अपने प्रदेश में विकास काम करवाए और खुद को साबित किया. उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने राज्य कर्मचारियों की हड़ताल को मजबूत इच्छाशक्ति के साथ वापस लेने पर मजबूर किया.

त्रिभुवन नारायण सिंह

त्रिभुवन नारायण सिंह का जन्म 8 अगस्त सन 1904 को उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी वाराणसी में हुआ था. उन्होंने महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ से अपनी शिक्षा पूर्ण की थी. बाद में एक सफल शिक्षक के रूप में अपना योगदान दिया। राजनीति, पत्रकारिता, शिक्षा और समाज सेवा उनके मुख्य कार्य क्षेत्र रहे. त्रिभुवन नारायण सिंह भारत के एक राजनेता एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री थे. वे 8 अक्टूबर 1970 से 4 अप्रैल 1971 तक मुख्यमन्त्री थे।इसके बाद 1977-80 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहें.

कमलापति त्रिपाठी

कमलापति त्रिपाठी एक भारतीय राजनेता, लेखक, पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी थे. वे वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र से एक वरिष्ठ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता थे। वे संविधान सभा के सदस्य रहे. कमलापति त्रिपाठी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और रेलवे के केंद्रीय मंत्री के रूप में भी सेवाएं प्रदान की. कमलापति त्रिपाठी का जन्म 3 सितम्बर, 1905 को हुआ थे.वे 4 अप्रैल, 1971 से 12 जून, 1973 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। वर्ष 1973 से 1978, 1978 से 1980 और 1985 से 1986 में वे राज्यसभा के सदस्य थे. वर्ष 1980 1984 तक वे लोक सभा के सदस्य थे। वे 1975 से 1977 के बीच रेलवे के केंद्रीय मंत्री थे. एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में इन्होंने असहयोग आन्दोलन, सविनय अवज्ञा आन्दोलन, और भारत छोड़ो आन्दोलन में सक्रियता से भाग लिया और कई बार जेल यात्रा भी की. 8 अक्टूबर, 1990 को वाराणसी में इनका निधन हो गया.त्रिभुवन नारायण सिंह भारत के एक राजनेता एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री थे. वे 8 अक्टूबर 1970 से 4 अप्रैल 1971 तक मुख्यमन्त्री थे।इसके बाद 1977-80 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहें.

हेमवती नंदन बहुगुणा

हेमवती नंदन बहुगुणा उत्तर प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहने वाले जानेमाने राजनीतिज्ञ और राजनेता थे. वे 1971, 1977 तथा 1980 में लोक सभा के सदस्य निर्वाचित हुए थे.1977 में वे केंद्रीय मंत्रिमण्डल में पेट्रोलियम, रसायन तथा उर्वरक मंत्री रहे थे. हेमवती नंदन बहुगुणा का जन्म उत्तराखंड के बुघाणी गांव में 25 अप्रैल, 1919 को हुआ था.पहली बार 8 नवम्बर, 1973 से 4 मार्च, 1974 तथा दूसरी बार 5 मार्च, 1974 से 29 नवम्बर, 1975 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. वर्ष 1977 में केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में पेट्रोलियम,रसायन तथा उर्वरक मंत्री। वर्ष 1979 में केन्द्रीय वित्त मंत्री। 17 मार्च, 1989 को निधन हो गया.

वीर बहादुर सिंह

वीर बहादुर सिंह भारतीय राजनेता और राजनीतिज्ञ थे. वे उत्तर प्रदेश के 14वें मुख्यमंत्री थे. इनका जन्म 18 जनवरी 1935 को गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था. 1967 की उत्तर प्रदेश विधान सभा के पनियारा निर्वाचन क्षेत्र तत्कालीन ज़िला गोरखपुर से वीर बहादुर सिंह सर्वप्रथम निर्वाचित हुए थे. वे दोबारा 1969, 1974,1980 और 1985 तक पाँच बार उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए. वे 1988 से 1989 तक राज्य सभा के सदस्य रहे. वीर बहादुर सिंह 24 सितम्बर, 1985 से 24 जून, 1988 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. 1988 से 30 मई, 1989 तक वे केन्द्रीय संचार मंत्री के पद पर आसीन रहे. उनके कार्यकाल के दौरान उत्तर प्रदेश में कई विकास कार्य करवाए गए थे जिनके लिए उन्‍हें आज भी याद किया जाता है और यूपी के राजनीतिक इतिहास में हमेशा उनका नाम याद किया जाएगा.

श्रीपति मिश्र

श्रीपति मिश्रा भारतीय राजनीतिज्ञ तथा राजनेता थे। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से एक थे। मिश्रा जी 19 जुलाई, 1982 से 3 अगस्त, 1984 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे। उनका जन्म 20 जनवरी, 1924 को गांव सूरापुर सुल्तानपुर में हुआ था. मार्च 1962 में वे पहली बार विधान सभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए।.मार्च 1967 में वे चौथी विधान सभा के सदस्‍य बने. 19 जून 1967 से 14 अप्रैल 1968 तक वे उत्तर प्रदेश विधान सभा के उपाध्यक्ष रहे. 1969 में वे लोक सभा के सदस्य बने। 18 फरवरी 1970 से 01 अक्टूबर 1970 तक वे चौधरी चरण सिंह की सरकार में मंत्री रहे व उनके पास खाद्य एवं रसद, राजस्‍व अभाव, समाज कल्‍याण, हरिजन सहायक, शिक्षा, खेलकूद, श्रम, सहायता एवं पुनर्वास का कार्यभार था. 18 अक्‍टूबर 1970 से 04 अप्रैल 1971 तक वे त्रिभुवन नारायण सिंह सरकार के मंत्रिमण्‍डल में शिक्षा एवं प्राविधिक शिक्षा मंत्री रहे. 1985 में वे आठवीं लोक सभा के सदस्य बने. 07 दिसम्बर 2002 को उनका निधन हो गया.